दीपक की बातें

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Wednesday, August 12, 2009


वो आँखों के गहरे इशारे, सिले लबों से ही सब कुछ कह देना।

पास रहने पर दूर जाना, दूर जाने पर हर पल याद आना।

कभी कागज़ पर उतार कर आपने जज्बातों को, मोड़ कर मेरे सामने फेक देना।

मेरे छिप जाने पर ढूढ़ना बेकरारी से, और सामने आने पर तेरे गालों पर छाई वो लाली।

नज़रें झुकाना, बहाने बनाना, परदे के पीछे से बुलाना और फ़िर मुझे चिढाना।

दिए की लौ से जली मेरी उंगली को अपने मुंह में रख लेना।

शरारत, नजाकत, मोहब्बत, इनायत सब याद है मुझको।

दिल के हर कोने में कैद हो तुम, अपनी यादों के साथ, मेरी मोहब्बत के साए में।

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