दीपक की बातें

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Wednesday, August 19, 2009

मेरे मरने तक

मेरे मरने तक ....
जज्बातों के पिघलने तक, इस शाम के ढलने तक।
मेरा दिल तेरी चाहत का तलबगार, तेरा अक्स मेरे जिगर से मिटने तक।
लहू गिरता है कतरा-कतरा, अरमां मेरे दिल का बिखरा- बिखरा,
तेरी तलाश में मेरा प्यार, उम्र का सफर तमाम होने तक।
यादों का सफर लम्हा-लम्हा, तेरी याद में मेरी शाम तन्हा-
तन्हा,
सांसों में तेरी मोहब्बत की खुशबू, मेरे मरने तक।
ख्यालों में मेरे लबों की नरमी-नर्मी, धड़कने हैं मेरी सहमी-सहमी।
गुनगुना लो मेरी मोहब्बत का नगमा, तेरा हाथ मेरे हाथ से छूटने तक।

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