दीपक की बातें

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Saturday, April 3, 2010

बेहतरीन प्रयास



लम्बे समय बाद फिर से चिटठा जगत में वापसी कर रहा हूँ। पिछले दिनों लव सेक्स और धोखा देखने गया था। साथ में कुछ दोस्त भी थे। सभी को फिल्म के बारे में एक ख़ास किस्म की एक्साईटमेंट था। ऐसा शायद फिल्म के टाइटल को लेकर था। फिल्म देखने आई भीड़ के मन भी यह बात ज़रूर रही होगी। लेकिन फिल्म शुरू होने के साथ ही लोगों का उत्साह ख़त्म होने लगा। इसके दो कारन थे। एक तो फिल्म बनाए का तरीका। दुसरे दूसरे फिल्म में वह सारे मसाले मौजूद नहीं थे जिसकी उम्मीद लेकर ज्यादातर दर्शक गए थे। आलम यह था की इंटरवल के वक्त आधे लोग या तो सो रहे थे या फिर बोर हो रहे थे। मेरे साथ गए दोस्तों का भी यही हाल था। कई लोग तो फिल्म बीच में ही छोड़कर चलते बने। हालाकि फिल्म मुझे काफी पसंद आई। फिल्म को बनाने के बंधे-बंधाए तरीके को छोड़कर जिस तरह से एक नया तरीका अपनाया गया था उसे देखकर मन खुश हो गया। हालांकि दोस्त बार-बार कह रहे थे यार कहां से फंस गए। मुझे फिल्म में कई बातें पसंद आईं। मसलन एक नए तरीके से स्टोरी को पेश किया गया था। सबसे बड़ी बात कि फिल्म में कुछ उन घटनाओं को उठाया गया था जिनसे कभी ना कभी हम रूबरू हो चुके हैं। मूविंग केमरे और सीसीटीव केमरे के जरिए फिल्म की शूटिंग का ख्याल तो अभी तक शायद किसी को जेहन में आया ही नहीं रहा होगा। अगर आया भी होगा तो ऐसा करने के लिए काफी साहसी होना पड़ता है। दिबाकर बनर्जी ने यह साहस दिखाया इसके लिए उनकी तारीफ होनी चाहिए।

2 comments:

  1. अभी तो देखी नहीं, देख कर बतायेंगे.

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  2. आपकी बात से सहमत है.

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