दीपक की बातें

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Friday, August 6, 2010

व्यस्तताओं के बीच जिंदगी के बदलते मायने


जिंदगी बहुत तेजी से चल रही. हर पल, हर मोड़ पर इसके मायने बदलते जा रहे हैं। ईमानदारी वगैरह की बातें तो छोड़ दीजिए बस किसी तरह आदमी किसी तरह अपनी जिंदगी जी ले यही क्या कम है। आप लोग भी सोच रहे होंगे ·कि क्या मैं आज उपदेश देने बैठा हूं? अरे नहीं जनाब, इतनी फुरसत किसके पास है, उपदेश सुनने की और देने की। बस बातों बातों में कुछ बातें याद आईं तो सोचा आपसे शेयर करता चलूं। कुछ वक्त पहले की बात है। मैं लखनऊ से अपने घर आजमगढ़ जा रहा था।अभी बस लखनऊ से थोड़ी दूर ही पहुंची थी कि एक जगह जबर्दस्त जाम लग गया। रात के करीब 4 बजे क समय था। बस के ज्यादातर मुसाफिरों को इस बात से ज्यादा मतलब नहीं था कि जाम क्यों लगा है. ऐसे में कई लोग हौले-हौले नींका मजा उठा रहे थे। मगर बस में बैठे कुछ लोगों से रहा नहीं गया और वे नीचे उतर पड़े। उनमें से एक लड़के ने काफी मेहनत करते हुए जाम खुलावाया। जाम खुला तो बस चल पड़ी। अभी बस हैदरगढ़ के आस-पास पहुंची थी कि एक दूसरी बस ने उसे ओवरटेक किया। उस बस में एक लडका उतर कर आया। जानते हैं वह लडका कौन था? वह वही लडका था जिसने जाम खुलवाया था. दरअसल जाम खुलवाते खुलवाते वह काफी पीछे चला गया था और जब बस खुली तो किसी को ख्याल ही नहीं रहा कि वह पीछे छूट गया है। इस बात को लेकर उस लड़के ने काफी गुस्सा दिखाया और कहा कि मैं आप लोगों की सुविधा के लिए जाम खुलवाने इतनी दूर तक चला गया, मगर आप लोगों को इस बात का जरा भी ख्याल नहीं आया कि मेरे लिए बस रुकवा लेते. फिर उसने बस कंडक्टर की भी जमकर क्लास ली और कहा कि अगर मेरे डॉक्यूमेंट्स मिस हो जाते तो मैं उसका हर्जाना कहां से भरता। खैर बात आई-गई हो गई और बस चलती रही। आगे जाक्रर वह लडका अपनी मंजिल पर उतर गया. बस यहीं से मेरे दिमाग में ख्याल आने लगा कि यह भलाई-बुराई, ईमानदारी, दूसरों की सेवा क्या किताबी बातें नहीं है। अपने मतलब और सुविधा के लिए जी रही इस दुनिया में भला इन चीजों की क्या जगह है। मन अभी तक उलझा हुआ है अगर आपके पास इसक कोई जवाब हो तो जरूर बताइएगा।