एक हसीना, सात खून, मगर चेहरे पर ज़रा भी शिकन नहीं। हर खून के साथ प्रियंका का हुस्न और भी निखरता गया। इसी तरह उनका अभिनय भी। आगे चलकर प्रियंका की बेहतरीन फिल्मो में शामिल होगी सात खून माफ़। जहाँ तक विशाल भरद्वाज की बात है तो, वह तो उस्ताद ही हैं। प्रियंका ने अपने रोल के साथ पूरी तरह से इंसाफ किया है। एक महिला की अधूरी ख्वाहिशों को उन्होंने बड़े ही शानदार तरीके से परदे पर उतारा है। सुजैना के रूप में हमारे सामने एक ऐसी महिला है जिसके पास खूब सारी दौलत , नौकर चाकर हैं, उसके हर हुक्म की तामील होती है। मगर फिर भी वह खुद को अधूरा महसूस करती है । एक जिद है। सपनो को लेकर उसके अन्दर एक तड़प वह। वह चाहती है कि कोई मिले उसे जो मोहब्बत के मतलब बताये, जिंदगी के सफ़र में उसका सहारा बने। मगर स्वार्थी पुरुषों की दुनिया में उसे हर बार निराश होना पड़ता है। अपने पात्र के हर अक्स को उभरने में प्रियंका सफल रही हैं। हर भाव की कसक उनके चेहरे पर साफ झलकती है। निश्चित तौर पर विशाल तारीफ़ के हक़दार हैं की उन्होंने प्रियंका से शानदार कम लिया है।
पहले भी वह ऐसी शानदार फिल्मे बना चुके हैं और आने वाले वक्त में कुछ और शानदार फिल्मे देखने को मिलेंगी, प्रियंका से भी, विशाल से भी...........