दीपक की बातें

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Friday, December 9, 2011

काश, 'हमारी' भी ऐसे ही सुनते मंत्री जी!

अभी कुछ दिनों पहले की बात है। कुछ सांसदों को फर्स्‍ट क्‍लास में सफर करने को नहीं मिला तो बड़ा शोर-शराबा मचाया महानुभावों ने। मामला रेलवे मिनिस्‍टर तक पहुंचा दिया। रेलवे मिनिस्‍टर ने भी फटाफट मामले को संज्ञान में लेकर फौरी कार्रवाई शुरू कर दी।

मेरे जेहन में दो सवाल आए, एक तो काश, देश के मंत्री जी लोग हर मामले को इतनी ही संजीदगी से लेते और दूसरा कि देश में ना जाने कितने लोग रोज रेलगाड़ी से यात्रा करते हैं। इनमें से बहुत से लोगों को जगह भी नहीं मिल पाती, मगर वह किसी से अपनी शिकायत नहीं कर पाते। बस व्‍यवस्‍था को कोसकर खुद को तसल्‍ली दे लिया करते हैं।

पिछले दिनों मुझे खुद भी एक वाकया देखने को मिला। घर से वापस नौकरी पर, यानी आज़मगढ़ से कानपुर आते वक्‍त एक ऐसा ही मामला देखने को मिला। मेरी सीट के बगल में एक महिला अपने दो बच्‍चों के साथ दोनों सीटों के बीच की जगह में लेटी हुई थी। दरअसल उनका टिकट कन्‍फर्म नहीं था। उसे कोई सीट नहीं मिल रही थी और मजबूरन उसे अपना पूरा सफर उसी जगह पर लेटकर पूरा करना पड़ा।

अब जब नेताओं की इस 'असुविधा' के बारे में पता चला तो बड़ी हैरानी हुई। काश, देश की जनता की बात भी इतनी ही फिक्र होती। काश, देश की जनता से जुड़े मामलों को लेकर मंत्री जी लोग इतने ही सक्रिय होते। काश, जनता से जुड़े मामलों में इतना ही फौरी निर्णय होता। काश!

1 comment:

  1. आम आदमी की ज़िन्दगी जीयें तो समझें ...... सबसे पहले अपनी सुविधाएँ ही जुटते हैं सत्ता में आने पर

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