दीपक की बातें

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Sunday, June 30, 2013

ज़िंदगी! इतनी मेहरबान तो नहीं।

कुछ ख्यालात से
दोबारा गुजर जाने का मन करता है
कुछ गीत, कविताएं, कहानियां
दोबारा सुनना चाहता है दिल
जिंदगी के तमाम लम्हों को
दोबारा जी लेने की कसक उठती है
कुछ यादों से बार—बार
रूबरू होने की तमन्ना होती है
मगर उफ ये ज़िंदगी!
इतनी मेहरबान तो नहीं।

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