दीपक की बातें

Hindi Blogs Directory

Saturday, September 21, 2013

शाहिद फाड़ नहीं पाए पोस्टर!

दो स्टार
इन दिनों शाहिद कपूर अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। फिल्म कमीने के बाद उन्हें एक अदद हिट की तलाश है, लेकिन लगता है यह तलाश आसानी से पूरी होने वाली नहीं है। उनकी नवीनतम फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो तमाम अपेक्षाओं के बीच अपने लक्ष्य से पूरी तरह भटकती नजर आती है।


फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि हीरो की मां उसे ईमानदार पुलिसवाला बनाना चाहती है, लेकिन हीरो तो फिल्मी हीरो बनना चाहता है। वह गुंडों को उड़-उड़कर मारता है, लेकिन न माथे पर पसीना आता है, न हेयरस्टाइल बिगड़ती है। हीरो की मां अस्पताल में भर्ती और हीरो जोक्स मार रहा है। इसके अलावा फिल्म में पांच मिनट के लिए सलमान खान भी हैं। राजकुमार संतोषी की ताजा पेशकश 'फटा पोस्टर निकला हीरो' की यह झलकियां हैं। फिल्म कॉमेडी के तौर पर प्रचारित की गई है, लेकिन आधे से ज्यादा फिल्म मारधाड़, रोमांस और इमोशन में ही खत्म हो जाती है। फिल्म में कॉमेडी पंचेस की जबर्दस्त कमी है।


पहले सवा घंटे में फिल्म हंसाने की थोड़ी कोशिश करती है। कुछ दृश्य अच्छे भी बने हैं, लेकिन हॉफ टाइम के बाद फिल्म को झेलना मुश्किल होने लगता है। तमाम आजमाए हुए पुराने फिल्मी फॉर्मूले फिल्म में आने लगते हैं, मसलन हीरो का बाप बुरा, मां बेटे पर बाप की छाया नहीं पडऩे देगी वगैरह-वगैरह। इसके अलावा सेकेंड हाफ में फिल्म हद से ज्यादा इमोशनल हो जाती है। निर्देशक इसे वापस कॉमेडी के ट्रैक पर लाने की भरपूर कोशिश करते हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाते। कई दृश्यों में महसूस होता है कि निर्देशक ने फिल्म को अभिनेताओं के भरोसे छोड़ दिया है कि वह जैसे चाहें कर जाएं। वहीं अनायास बीच-बीच में गाने आकर फिल्म का रहा-सहा मजा भी किरकिरा कर जाते हैं।


अभिनय की बात करें तो अकेले शाहिद कपूर ने मामला संभालने की कोशिश की है। वह कई दृश्यों में फनी लगे हैं। इसके अलावा 'खाली-पीली' और 'धांटिंग नाच' गाने में भी अपने अंदाज से प्रभावित करते हैं। शाहिद की मां के रूप में पद्मिनी कोल्हापुरे ने अच्छा काम किया है। इलियाना डिक्रूज ने यह फिल्म क्यों साइन की समझ नहीं आता। वहीं अच्छे चरित्र अभिनेता जाकिर हुसैन फिल्म में पूरी तरह से जाया हो गए हैं। लगता है वह जबर्दस्ती हंसाने की कोशिश कर रहे हैं। बाकी अभिनेताओं में सौरभ शुक्ला, दर्शन जरीवाला, संजय मिश्रा और मुकेश तिवारी ने चरित्रों को अच्छे से निभाया है। फिल्म का गीत और संगीत भी दमदार नहीं है।

(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)

No comments:

Post a Comment