दीपक की बातें

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Tuesday, November 5, 2013

टेक्नोलॉजी और इमोशन का कॉम्बो क्रिश-3

साढ़े तीन स्टार
बेहतरीन टेक्नोलॉजी से रचे गाफिक्स दृश्य। हैरतअंगेज ताकतों से लबरेज सुपरहीरो और सुपरविलेन। बढिय़ा स्टंट सीन और ढेर सारे इमोशंस का तड़का। यह है क्रिश-३, भारतीय सुपरहीरो की सिरीज में नई पेशकश। इसमें बहुत कुछ ऐसा है जो अभी तक की भारतीय फिल्मों में नहीं दिखा है। फिल्म कोई मिल गया और क्रिश की कहानी को आगे बढ़ाती है।

कृष्णा अपने पापा रोहित (रितिक रोशन दोहरी भूमिका में) को डॉक्टर आर्या से बचाकर लाता है। इसके बाद वह अपनी पत्नी प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ मुंबई में रहने लगता है। प्रिया टीवी जर्नलिस्ट है और कृष्णा किसी नौकरी में टिक नहीं पाता। वजह, जब भी कोई मुसीबत में फंसता है, वह ड्यूटी छोड़कर उसे बचाने चला जाता है। लोग उसकी सच्चाई से अनजान हैं, इसलिए उसे बार-बार नौकरी से निकाला जाता है। वहीं मुंबई से काफी दूर काल (विवेक ओबरॉय) अपनी ताकतों का बेजा इस्तेमाल कर मानवों और जानवरों के डीएनए से नई प्रजाति मानवर तैयार कर रहा है। उसके साथ है काया (कंगना राणावत) अपने प्रोजेक्ट के लिए पैसा जुटाने के मकसद से वह अलग-अलग देशों में खतरनाक बीमारियां फैलाता है। इसी कड़ी में उसका हमला भारत पर भी होता है, लेकिन क्या क्रिश उसके मंसूबों को कामयाब होने देगा? यही फिल्म की आगे की कहानी है।


ऐसे तो फिल्म की स्क्रीनप्ले में ढेरों खामियां हैं, लेकिन तकनीक और एक्शन से उन्हें ढंकने की कामयाब कोशिश की गई है। पर्दे पर दृश्यों का प्रस्तुतिकरण और विश्वसनीय है कि यह हैरान कर देता है। सबसे खास बात है कि फिल्म की रफ्तार कहीं धीमी नहीं पडऩे दी गई है। इस वजह से दर्शक अपनी सीट से हिल भी नहीं पाता। सुपरविलेन काल को जिस तरह से पेश किया गया है, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है। सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा है। फिल्म का सबसे सशक्त पहलू है अभिनय। रितिक ने अपनी भूमिका में जान डाल दी है। बाप और बेटे की भूमिका निभाते हुए आप उनमें अंतर नहीं कर सकते। काल के रोल में विवेक ने एक नई शुरुआत की है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और चेहरे के भाव लाजवाब हैं। वहीं प्रियंका ने भी मिले मौकों को जाया नहीं किया है, जबकि काया के रोल में कंगना अपने अभिनय के एक नए पहलू से परिचित कराती हैं।


इन सारी बातों के बावजूद यह नहीं कह सकते कि फिल्म में कमजोरियां नहीं हैं। कई पुराने फिल्मी फॉर्मूलों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- विलेन द्वारा हिरोइन का अपहरण। बेटे के लिए बाप की कुर्बानी। अच्छा बेटा-बुरा बेटा, वगैरह। इसके अलावा फिल्म कई दृश्यों को देखते हुए हॉलीवुड की कुछ साई-फाई फिल्मों की याद आती है। मसलन, विवेक का किरदार एक मशहूर हॉलीवुड सिरीज के किरदार की याद दिलाता है। रितिक जिस तरह तार से झूल रहे बच्चे को बचाता है उसे देखकर शक्तिमान सीरियल की याद आती है। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है, इसके गाने। हालांकि इन्हें बेहद खूबसूरती से पिक्चराइज किया गया है, लेकिन न संगीत में दम है और न गीत में। 


इस फिल्म की सबसे खास बात है कि यह फैमिली एंटरटेनमेंट की कसौटी पर खरी उतरती है। पहले से ही क्रिश के फैन बच्चों को यह फिल्म खासतौर से पसंद आएगी। 

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