दीपक की बातें

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Sunday, September 21, 2014

नसीर बाबू, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा!

फिल्मी दुनिया में ढेरों कहानियां गढ़ी जाती हैं। माना तो यही जाता है कि सिनेमा कल्पनाओं का संसार है। मगर कभी-कभी कल्पना की इस दुनिया का सामना जिंदगी की हकीकत से हो जाता है। सिनेमा की जिंदगी और जिंदगी के सच का एक ऐसा ही मिलन इन दिनों सामने आया है। असल में मशहूर फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपनी आत्मकथा लिखी है। इसमें उन्होंने अपनी पहली पत्नी और बेटी हीबा के बारे में खुलासा किया है। एक अरसे तक वह ये बात दुनिया के सामने लाने से कतराते रहे। इस आत्मकथा के बाद दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने खुद माना है कि उन्होंने हीबा को अपने प्यार से महरूम रखा।

ये तो हुई नसीर साहब की जिंदगी की बात। अब आइए जरा सिनेमाई दुनिया में झांकते हैं, जहां पर एक फिल्मी सीन उनकी जिंदगी से दिलचस्प ताल्लुक रखता है। बात हो रही है फिल्म 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' की। यह फिल्म अगर आपने देखी हो तो फरहान अख्तर द्वारा निभाए गए इमरान के किरदार को याद कीजिए? इसमें इमरान के पिता बने थे यही नसीरुद्दीन शाह। फिल्म में उन्होंने एक ऐसे शख्स की भूमिका निभाई है, जिसने एक लड़की से प्यार तो किया, लेकिन उसे और उसकी संतान को अपना नाम नहीं दिया।

जब इमरान स्पेन जाने की योजना बना रहा होता है तो उसकी मां बनीं दीप्ति नवल पूछती हैं कि स्पेन में क्या वह अपने पिता से मिलेगा? जबकि उन्होंने आज तक एक फोन भी नहीं किया उसका हाल जानने के लिए। इमरान तब वह कहता है कि हो सकता है कि फोन आया हो, लेकिन मां ने बताया ना हो। वह बड़ी उम्मीद से अपने पिता से मिलता है, लेकिन पहली ही मुलाकात में उसके सारे अरमान धुल जाते हैं। जिम्मेदारी न उठा पाने की अपनी मजबूरी का हवाला देकर नसीर का किरदार बड़ी आसानी से अपना पल्ला झाड़ लेता है। एक बार भी सोचे बगैर कि उस बेटे पर क्या बीतेगी, जो आजतक उन्हें इतनी शिद्दत से मोहब्बत करता रहा।

अब निजी जिंदगी में नसीरुद्दीन शाह अपनी बेटी हीबा से कितनी बार मिले, हीबा ने 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' फिल्म देखी होगी या नहीं यह बातें तो वही लोग जानें। बस एक पल के लिए हीबा को 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' के इमरान की जगह रखकर देखिए। दर्द का सैलाब आंखों का रास्ता ढूंढने लगेगा। कभी मिला नसीर साहब से तो पूछना चाहूंगा कि निजी जिंदगी की हीबा और फिल्मी परदे के इमरान के बीच इस विडंबनात्मक समानता पर उनकी क्या राय है? यह भी कि क्या 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' का वह छोटा सा रोल करते वक्त वो अपनी जिंदगी के इतने बड़े सच को जी रहे थे? क्या उस एक सीन ने उनके दिल में तो वह कसक नहीं पैदा कर दी कि वह हीबा को दुनिया से रूबरू कराने निकल पड़े?